Follow us on Fb/Twitter
Akhil bhartiya Bishnoi Samaj
  • मुखपृष्ठ
  • श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान
    • श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान परिचय >
      • श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान का जीवनकाल :
    • श्री गुरु जम्भेश्वर पेज
    • श्री जम्भ चरित्र ध्वनि
    • जम्भाष्ट्क
    • श्री गुरु जम्भेश्वर चालीसा
    • श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान आरती
    • श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान भजन
    • श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान साखी
    • संतो द्वारा रचित
    • श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान अष्टधाम >
      • अन्य धाम
      • धर्मशालाएं
  • धर्माचरण
    • शब्दवाणी विषयक विशेष बातें
    • कलश स्थापना
    • ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का महत्व
    • अथ गौत्राचार
    • अथ कलश पूजा:
    • अथ पाहल मन्त्र:
    • प्रात: सांयकाल के हवन मन्त्र :
    • वृहन्नवणम(संध्या मन्त्र )
    • मन्त्र:
    • आवश्यक निर्देश
  • बिश्नोई समाज
    • स्थापना
    • समाज के गौत्र
    • उन्नतीस नियम >
      • उन्नतीस नियम [भावार्थ के साथ ]
      • In English
    • मध्य भारत का बिश्नोई समाज :-
    • बिश्नोई समाज की संस्थाएं >
      • अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा
      • अखिल भारतीय जीव रक्षा सभा
      • श्री जम्भेश्वर पर्यावरण एवं जीवरक्षा प्रê
    • समाज की साहित्यिक पत्र-पत्रिकाए >
      • अमर ज्योति
      • बिश्नोई सन्देश
    • सम्माननीय अग्रणी >
      • बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी बिश्नोई
      • लौह पुरुष व किसान केसरी श्री रामसिंह बिश्न
      • श्री अजय बिश्नोई
      • श्री सलिल विश्नोई
    • बलिदान कथाएं >
      • खेजड़ली में 363 स्त्री पुरूषों का बलिदान
      • बूचोजी का बलिदान
      • रामूजी खोड़ का बलिदान
      • तिलवासणी के शूरवीरों का बलिदान
      • सन 1857 के सैनिक विद्रोह में गौ रक्षा :
      • करमा और गौरा का बलिदान
      • तारोजी भक्त द्वारा जीव रक्षा
      • बिश्नोईयों के शौर्य की एक अनसुनी सत्य-गाथा
    • श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान के परचे
  • फोटो गैलरी
    • श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान् फोटो
    • बिश्नोई समाज फोटो
    • बिश्नोई मन्दिर फोटो
  • ऑडियो विडियो गैलरी
    • धुन
    • आरती
    • भजन
    • साखी
    • शब्दवाणी
  • प्रतिक्रिया दें

शब्दवाणी विषयक विशेष बातें

           श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान के शब्द वैदिक मंत्रो के समान पुण्यकारक तथा प्रमाणभूत हैं अत: प्रत्येक बिश्नोई को श्री जम्भेश्वर भगवान के शब्दों का पढ़ करना चाहिये | यदि हम २९ धर्मो (नियमों) को बिश्नोई धर्म का शारीर मानते हैं तो हमें शब्दों को बिश्नोई धर्म का प्राण मानना होगा | जिस प्रकार शरीर तथा प्राण दोनों की रक्षा अत्यंत आवश्यक हैं , उसी प्रकार बिश्नोई धर्म को सर्वांगपूर्ण तथा शुद्व रूप से मानने के लिए २९ नियम तथा शब्दवाणी अत्यंत आवश्यक हैं |

शब्दों से हवन करते अपना ध्यान हवन की ज्योति की ओर रखना चाहिये तथा ज्योति में ही जम्भेश्वर भगवान् के स्वरूप का ध्यान करना चाहिये | जो व्यक्ति जम्भेश्वर भगवान के शब्दों को ठीक ढंग से न बोलना जानता हो अथवा जिन व्यक्तियों को शब्द याद न हों , उन्हें मौन बैठकर शब्दवाणी का ध्यान पूर्वक पथ सुनना चाहिये तथा अपनी दृष्टि ज्योति की ओर रखनी चाहिये | जहाँ शब्दवाणी हो रहा हैं वहां पर किसी दुसरे विषय की बातचीत करना अथवा व्यर्थ इधर-उधर देखना पाप हैं शब्दवाणी  का पाठ एक स्थान पर बैठे हुए सभी व्यकियों को एक स्वर से तथा मिलकर करना चाहिये |

शब्दवाणी के प्रारंभ में "ओ३म्" शब्द का उच्चारण करना चाहिये, अंत में "ओ३म् स्वाहा" अथवा केवल "स्वाहा" शब्द का उच्चारण कर अग्नि में आहुति देनी चाहिये | हवन के निमित्त शुद्र के घर से अग्नि नहीं लेना चाहिये तथा मुख से फूंक नहीं देना चाहिये | हवन होते समय यदि कोई व्यक्ति अग्नि में आहुति देना चाहता हैं तो उसे ठीक ढंग से बैठकर आहुति देनी चाहिये | यदि कोई व्यक्ति किसी बुरे संग में पड़कर चोरी,डाके के कार्य करने लग गया हो अथवा बिड़ी, भांग ,शराब ,मांस आदि का सेवन करने लग गया हो तथा मन के कुछ अच्छे संस्कारों के कारण उपयुर्क्त कार्यों से घृणा हो तो उसे निश्चय मन से जम्भेश्वर भगवान का स्मरण कर अग्नि में आहुति देनी चाहिये तथा वहीं हवन के समीप बैठकर यह दृढ संकल्प कर लेना चाहिये कि मै आगे भविष्य में इन पाप कर्मो को कभी नहीं करूँगा |

जिन मंदिरों में प्रात: सांय दोनों समय हवन होता हैं वहां पर पहला शब्द "गुरु चिन्हों ........आदि ,शुक्ल हंस तथा अन्य कम से कम दस, पन्द्रह या बीस शब्द बोलने चाहिये | इसी प्रकार जहाँ शुद्व घी की व्यवस्था कम हो वहां शुद्व कार्य के निमित्त प्राय: इतने ही शब्द बोलने चाहिये विशेष उत्सव ,मेला, और अमावस्या के दिन एक सौ बीस शब्द से हवन करना चाहिये तथा उस दिन भी शुक्ल हंस शब्द को अंतिम में बोलना चाहिये |

जिस प्रकार वेदों में कर्म काण्ड, उपासना काण्ड तथा ज्ञान काण्ड के भेद से तीन प्रकार के मन्त्र हैं उसी प्रकार शब्दवाणी में भी तीन प्रकार के शब्द हैं हमें शब्दवाणी के द्वारा शुभ कर्म करने के उपदेश मिलते हैं श्री विष्णु भगवान का अनन्य मन से चिंतन करेंगे तो अवश्य विष्णु रूप होकर मुक्ति को प्राप्त होवेंगे यह संसार नाशवान तथा क्षणभंगुर हैं| अत: इससे किसी प्रकार मोह ,ममता राग -द्वेष आदि न करें श्री जम्भेश्वर भगवान् की वाणी को पूर्णयता पालन करने से हम अपना तथा जीवमात्र का कल्याण कर सकते हैं |

                                                                                  

                                                                                         - स्वामी भागीरथदास आचार्य

Share on Facebook

Powered by Create your own unique website with customizable templates.