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"बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी बिश्नोई"

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"बिश्नोई रत्न चौधरी भजनलाल जी बिश्नोई"

संक्षिप्त जीवन व सियासी परिचय जन्म : 6 अक्टूबर 1930स्थान: बहावलपूर (पाक पंजाब)सियासी शुरुआत: आदमपुर पंचायत में पंच के रूप में।मुख्यमंत्री पद: दो बार संभाली कमान (1979-85), (1991-96)।केंद्रीय राजनीतिराजीव गांधी के नेतृत्व वाली भारत सरकार में मंत्री रहेएक बार राज्यसभा सदस्य भी रहे।आखिरी बार 2009 में हिसार से हजकां के चुनाव चिह्न् पर लोकसभा का चुनाव जीता।पंजाबी बोली के क्षेत्र और पानी के मुद्दे पर भजनलाल पंजाब के आतंकवादियों के निशाने पर भी रहे। वे 77 में देवीलाल की बहुमत वाली सरकार गिराने के बाद चर्चा में आए। 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाने से खफा होकर भजनलाल ने कांग्रेस से नाता तोड़ दिया। 2004 में भिवानी लोकसभा सीट से बेटे कुलदीप बिश्नोई को चुनाव लड़ाया। सामने देवीलाल के पोते अजय चौटाला और बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह थे। इस चुनाव में जीत से भजनलाल का नाम और चमक गया। सबसे बड़ी बात यह रही कि बिश्रोई समाज की जनसंख्या हरियाणा में मात्र आधा प्रतिशत है और इसके बावजूद चौ. भजनलाल अपनी मिलनसार प्रवृति व हर समाज के लोगों को साथ लेकर चलने की क्षमता के चलते तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बने। चौ. भजनलाल जी एक अनुभवी व दूरदर्शी राजनीतिज्ञ होने के साथ लोकप्रिय नेता थे।

व्यक्तित्व:

स्व.चौ.भजनलाल जी बिश्नोई मृदुलभाषी व सरल स्वभाव व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने अपने कार्यकाल में बिश्रोई समाज के प्रवर्तक गुरु जम्भेश्वर के नाम पर हिसार में विश्वविद्यालय की स्थापना कर पर्यावरण के प्रति संदेश व दूरदर्शिता का परिचय दिया। चौ. भजनलाल जी ने जीवन पर्यन्त देश सेवा के साथ समाज सेवा की। उन्होंने बिश्नोई समाज के उत्थान व मंदिरों के निर्माण में अपना अहम योगदान दिया। चौ. भजनलाल जी को बिश्नोई समाज के विकास में योगदान के लिए बिश्नोई समाज द्वारा "बिश्नोईरत्न" उपाधि से नवाजा गया।

चौ. भजनलाल जी का बिश्नोई समाज के उत्थान में योगदान:-

उल्लेखनीय है कि चौधरी भजनलाल ने बिश्नोई समाज तथा बिश्नोई धर्म की उन्नति के लिए अविस्मरणीय सेवाएं प्रदान की है। उनके दूरदर्शी चिन्तन के कारण ही जाम्भोजी की समाधि स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण होने केसाथ ही दिल्ली जैसे महानगर में समाज की करोड़ों रूपयों की सम्पति के रूप में छात्रावास, जम्भेश्वर मंदिर एवं धर्मशाला भी विशेष उपलब्धि रहा है। इसके अतिरिक्त हरिद्वार में भी बिश्रोई मंदिर व धर्मशाला का निर्माण करवाया। यही नहीं पंचकूला, सिरसा, डबवाली व टोहाना में भी बिश्रोई मंदिरों का निर्माण करवाया। उन्होनें मथुरा में बिश्रोई मंदिर के निर्माण के लिये प्लाट ले लिया था, पर मंदिर निर्माण का अवसर नहीं मिला। इसके साथ ही उन्होनें बिश्नोई समाज एवं जाम्भोजी द्वारा प्रतिपादित पर्यावरण संरक्षण के सूत्रों एवं पर्यावरण रक्षा की खेजड़ली बलिदान जैसी घटनाओं को भारत की लोकसभा में प्रस्तुत कर विश्वपटल पर चमकाया। जिस समय वे केन्द्र सरकार में कृषि एवं पर्यावरण मंत्रीथे, उस वक्त के लोकसभा भाषण में खेजड़ली बलिदान की घटना पर दिया गया भाषण विशेष सम्मानित भाषण घोषित किया गया था। समाज के विभिन्न प्राचीन स्थलों के जीर्णोद्धार का कार्य भी चौधरी भजनलाल के मार्गदर्शन में अद्भुत तरीके से किया गया। उनके कार्यकाल में ही खेजड़ली गाँव में शहीद स्मारक बनाया जा सका। उनकी सेवाएं बिश्नोई समाज की भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहेगी। उन्होंने राजनीति में भी अविस्मरणीय सेवाएं दी है। आज वो भले ही हमारेबीच नहीं है लेकिन इन्हीं विशेषताओं के कारण आम जनता के साथ ही प्रत्येक बिश्नोई के दिल में उनका स्थान है और हमेशा रहेगा। चौ. भजनलाल जी जैसे दिवंगत राजनीतिज्ञ व समाजसेवी की कहानी कभी खत्म नहीं होती बल्कि इतिहास बना जाती हैं।


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