ऐतिहासिक घटना
एक समय मुगल बादशाह हुमायु हिन्दू धर्म के मन्दिरों पर कब्जा करता हुआ गांव तालवा मुकाम आया। उसने समाधि मन्दिर मुकाम पर कब्जा करने की कुचेष्टा की तथा भक्तों व सन्तों मे कहा कि हमें कोई परचा बताओ अन्यथा हम मन्दिर को तोङेंगे। इस विकट परिस्थिति को देखकर श्री सेणौजी बणियाल, श्री स्वामी नाल्हो जी तथा श्री स्वामी नाथो जी आदि ने ओउम् विष्णु ... ओउम् विष्णु ....इस महामन्त्र का जप करना प्रारम्भ कर दिया। सभी सन्त पूर्ण श्रध्दा से भगवान् श्री जम्भेश्वर का ध्यान व जप कर रहे थे तथा भगवान् से आर्त्त होकर प्रार्थना कर रहे थे कि आप हम सब की लाज रखे। ब्रह्ममुहूर्त में लगभग चार बजे आकाशवाणी हई कि आप हुमायूं को मन्दिर व समाधि को खोलने दो। उस समय रोल के मुसलमान कारीगर (सिलायटे) मन्दिर का निर्माण कार्य कर रहे थे। हुमायूं एक मुसलमान कारीगर को साथ लेकर मन्दिर में आया तथा समाधि को पूर्व की ओर से खोलने लगा। जब कुछ समाधि खुली तो अद्भुत पराक्रम व तेज सम्पन्न श्री जम्भेश्वर जी उन्हे समाधि में बैठे हुए दिखाई दिये। हुमायूं ने देखते ही डरकर पुन: समाधि को बन्द करवा दिया।
एक समय मुगल बादशाह हुमायु हिन्दू धर्म के मन्दिरों पर कब्जा करता हुआ गांव तालवा मुकाम आया। उसने समाधि मन्दिर मुकाम पर कब्जा करने की कुचेष्टा की तथा भक्तों व सन्तों मे कहा कि हमें कोई परचा बताओ अन्यथा हम मन्दिर को तोङेंगे। इस विकट परिस्थिति को देखकर श्री सेणौजी बणियाल, श्री स्वामी नाल्हो जी तथा श्री स्वामी नाथो जी आदि ने ओउम् विष्णु ... ओउम् विष्णु ....इस महामन्त्र का जप करना प्रारम्भ कर दिया। सभी सन्त पूर्ण श्रध्दा से भगवान् श्री जम्भेश्वर का ध्यान व जप कर रहे थे तथा भगवान् से आर्त्त होकर प्रार्थना कर रहे थे कि आप हम सब की लाज रखे। ब्रह्ममुहूर्त में लगभग चार बजे आकाशवाणी हई कि आप हुमायूं को मन्दिर व समाधि को खोलने दो। उस समय रोल के मुसलमान कारीगर (सिलायटे) मन्दिर का निर्माण कार्य कर रहे थे। हुमायूं एक मुसलमान कारीगर को साथ लेकर मन्दिर में आया तथा समाधि को पूर्व की ओर से खोलने लगा। जब कुछ समाधि खुली तो अद्भुत पराक्रम व तेज सम्पन्न श्री जम्भेश्वर जी उन्हे समाधि में बैठे हुए दिखाई दिये। हुमायूं ने देखते ही डरकर पुन: समाधि को बन्द करवा दिया।